सत्ता जनविरोधी और बुद्धीनाशी

सत्ता जनविरोधी और बुद्धीनाशी

व्यंग में वैसे लिखना चाहिए कि अच्छा है जो प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और रेल मंत्री सब संघ-भाजपा के वोट आधार पर खुद कुल्हाडी चला रहे है। आखिर उत्तर भारत के बनिए और व्यापारी ही तो संघ-भाजपा के पुराने पक्के वोट है। सो बहुत अच्छा जो उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान के शहर-कस्बों के व्यापारियों-कारोबारियों  पर जीएसटी के इंस्पेक्टर राज के छापे पड रहे है। गूगल पर यदि जीएसटी छापे के जुमले से सर्च की जाए तो प्रदेशों के छोटे-छोटे कस्बों मे इंस्पेक्टर राज का कहर बरपता लगेगा।

गौर करे इन सुर्खियों पर- जीएसटी के राजस्थान, मध्यप्रदेश में छापे। आर्थिक राजधानी इंदौर में बड़ा जीएसटी फ्रॉड…. मप्रमें 42 स्‍थानों पर जीएसटीका सर्वे, बुरहानपुर में… कटनी में कोल किंग के ठिकानों पर छापा… पान मसाला कारोबारियों के ठिकानों पर छापा, हड़कंप… बालाघाट के एक व्यवसायी से 55 लाख की वसूली… किशनगढ़ में डीजीजीआईका छापा… जीएसटी का ‘ऑपेरशन धमाका’, पटाखा… रतलाम में 5 जगहों पर छापा…मध्य प्रदेश में जीएसटी इंटेलिजेंस ने पकड़ी टैक्स चोरी … कॉलोनी डेवलपर के दफ्तर पर जीएसटी का छापा… यूपी में शहर-शहर जीएसटीके छापे, शटर बंद कर भाग रहे व्यापारी…यूपी के कई जिलों में जीएसटी विभाग की टीमें छापा मार कार्रवाई कर रही हैं… शामली बाजार पर जीएसटी कमिश्नर की छापेमारी, नाराज व्यापारियों …

सीमेंट कंपनी के ठिकानों पर छापे… लखनऊ: सभी व्यापारियों के यहां नहीं पड़ेगा जीएसटी का छापा, जानें किसकी होगी जांच… जबलपुर में जीएसटीका छापा… गुटखा व्यवसायी के ठिकानों पर छापा…अज़मेर के पड़ाव में जीएसटी टीम ने गुटखा व्यापारी के ठिकानों पर… मुजफ्फरपुर… रामदूत रोलिंग मिल में जीएसटी का छापा… नोएडा स्टेट जीएसटी की छापेमारी में… छत्तीसगढ़ में कई कंपनियों पर छापेमारी… कोरबा और भाटापारा… नाइट क्लब और शराब दुकानों में मारा छापा… किशनगढ़बास में मोबाइल की दुकान पर जीएसटी टीम का छापा…. कासगंज में व्यापारियों ने छापेमारी का किया विरोध, व्यापारी से ही जीसटी इकठ्ठा होती है और उसी को नाजायज परेशान किया जाता है।… आंदोलन की दी चेतावनी…लखनऊ व्यापार मण्डल की कोर कमेटी की बैठक में 16 मई से शुरू होने वाले जीएसटी के विशेष अभियान की चर्चा हुई।….जीएसटी का सर्वे डोर टू डोर … सलेमपुर के व्यापारियों ने किया प्रदर्शन… डिप्टी सीएम केशव प्रसाद ने चेताया, व्यापारियों को परेशान करने वाले अफसर दंडित

होंगे…

जाहिर है छोटे-छोटे कस्बों तक में मोदी सरकार का इंस्पेक्टर राज पहुंचवा हुआ है। नोटबंदी के बाद व्यापारी-कारोबारियों (अदानी-अंबानी जैसों के छोड़े) का धंधा वैसे ही अधमरा था। अब लगता है सरकार ने ईडी, सीबीआई, आयकर की छापेमारीकेमाइक्रों अनुभव में जीएसटी को शहर-कस्बों में वैसे ही पहुंचा दिया है जैसे कभी सेल्स टैक्स वालों का इस्पेक्टर राज था।

उस नाते हिसाब लगाए कि मोदी सरकार में नोटबंदी के बाद से व्यापारियों पर कितनी तरह के जुल्म हुए है? वे कितनी तरह की परेशानियों से गुजरो है? ठिक यही स्थिति किसानों की है। कोई कल्पना नहीं कर सकता कि हाल की गेंहू फसल में मौसम गडबडी से किसानों को कैसा जबरदस्त नुकसान हुआ है? न ही गांवों में पहले की तरह मनरेगा में काम मिल रहा है। व्यापारी-किसान के बाद शहर-कस्बों के मध्यवर्ग पर सोचे तो महंगाई, बेरोजगारी की बेहाली और बेरोजगार लड़के-लडकियों की मानसिक दशा अकल्पनीय।

मैं इस सबके लिए अकेले मोदी सरकार व भाजपा-संघ को ही दोषी नहीं मानता हूं। मोदी सरकार के साथ विपक्षी पार्टियों की सरकारों ने भी तो जीएसटी के उस ताने-बाने को मंजूरी दी थी जो अफसरों ने इंस्पेक्टर राज के अनुकूल कानून-नियमों से बनवाया। हालांकि तथ्य यह भी है कि नरेंद्र मोदी ने इंस्पेक्टर राज खत्म करने और सबकुछ डिजिटल व पारदर्शी होने की घोषणाएं की थी!सिस्टम ऐसा की इंस्पेक्टर राज संभव नहीं। मगर आज पूरे देश में क्या होता हुआ है?

ताजा एक और उदाहरण। भारत में नरसिंहराव सरकार से पहले नकदी से दो नंबर में विदेशी करेंसी खरीद कर, हवाला लेन-देन से विदेश में भुगतान हुआ करता था। वह काली व्यवस्था वापिस लौटती लगती है। किसी ने कल्पना नहीं की थी कि बैंक खातों से जुड़े क्रेडिट कार्ड से विदेश में यदि कोई भारतीय बड़ा भुगतान करेगा तो उस पेमेंट पर सरकार बीस प्रतिशत टैक्स आटोमेटिक जमा कर लेगी। फिर इनकम टैक्स रिटर्न आदि की प्रक्रिया। सोचे, क्या इससे मध्य-उच्च वर्गीय प्रोफेशनल या कारोबारी या मंहगी विदेश यात्रा करने वालों के दिल-दिमाग में टैक्स आंतकवाद का खौफ नहीं बनेगा। सोचे, कार्डहोल्डर का अपने खाते से पेमेंट।वह खाता जिसमें टैक्स दे कर उसकी सच्ची बचत, सच्ची इनकम जमा है और उसे वह विदेश में क्रेडिट कार्ड के जरिए खर्च करता है तो उसके वापिस जबरदस्ती टैक्स वसूलने की चालबाजी क्या व्यवस्था का नागरिक से धोखा व छल नहीं है? इस छल के लिए नरेंद्र मोदी व निर्मला सीतारमण का दिमाग जिम्मेवार या जनता को टैक्स टेरर से लूटने वाली अफसशाही का आईडिया?

एक और उदाहरण। जिस दिन कोलकत्ता-पुरी की वंदे मातरम ट्रेन चालू हुई उसी दिन खबर देखने को मिली कि कोविड़ काल में रेल मंत्रालय ने आम यात्री भाड़े की रेट को10 रू प्रति किलोमीटर से बढ़ा कर30 रूपए किया था उसे वापिस दस रू करने के लिए ममता बनर्जी ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को पत्र लिखा। ईस्टर्न रेलवे पैसेंजर एसोशिएशन की मांग के हवाले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रेल मंत्री से अपील की कि रेलवे के हावडा डिविजन ने कोविड़ के बहाने जो रेट बढ़ाई थीउसे कम किया जाएं। इलाके में लोग गरीब है। वे रोजीरोटी के लिए लोकल ट्रेन से रोजाना सफर करते है।

सोचे, ऐसा कैसे जो लोकल ट्रैन के बेहद गरीब यात्रियों से भी कोविड काल में बढ़ाया गया भाड़ा लगातार वसूला जाता हुआ। एक तरफ हाईफाई वंदे मातरम ट्रेन का महा महंगा टिकट तो दूसरी और डेली मजूदर पैसेंजरों से भी भारी वसूली! ऐसा पूरे भारत में आवाजाही के हर साधन पर लागू है। छोटे हवाई सर्किट के टिकट तीस-तीस हजार में बिक रहे है तो एक्सप्रेस वे, हाईवे पर कार का एकतरफा सफर 800-1000-1200 रू का टोल बिल बनवाता है।

सो पहली बात, आम आदमी-व्यापरी-किसान को ध्यान में रखकर काम नहीं, दिखावा और रेवडियां है। दूसरी बात सत्ता का पूरा तंत्र, उसकी अफसरशाही वापिस चोर दरवाजे सरकार की रेवेन्यू के नाम पर समाजवादी दिनों का आंतक-खौफ बनवा दे रही है। छोटे-छोटे जिलों-कस्बों में इंस्पेक्टर राज घर-घर पहुंचता हुआ है।

Published by हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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