जेल से छूटे केजरीवाल

जेल से छूटे केजरीवाल

नई दिल्ली। शराब नीति में हुए कथित घोटाले और उससे जुड़े धन शोधन के मामले में पिछले छह महीने से जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत मिल गई है। वे शुक्रवार की शाम करीब सवा छह बजे दिल्ली की तिहाड़ जेल से बाहर आ गए। सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने उन्हें सीबीआई के केस में कुछ शर्तों के साथ जमानत दी है। जमानत की शर्तें वही हैं, जो ईडी के मामले में लगाई गई हैं। वे 177 दिन बाद जेल से बाहर निकले हैं। हालांकि वे जेल में वे 156 दिन ही रहे क्योंकि लोकसभा चुनाव के समय प्रचार के लिए वे 21 दिन तक अंतरिम जमानत पर बाहर रहे थे।

केजरीवाल की रिहाई से पहले ही उनकी पार्टी के तमाम नेता और समर्थक तिहाड़ जेल के बाहर जुट गए थे। जेल से बाहर निकले केजरीवाल का पटाखे चला कर स्वागत किया गया, जबकि दिल्ली में पटाखे चलाने पर पाबंदी है। बहरहाल, जेल से निकल कर केजरीवाल ने कहा- मेरे खून का एक एक कतरा देश के लिए है। मेरा जीवन देश के लिए समर्पित है। इन लोगों को लगा कि मुझे जेल में डालकर मेरा हौसला तोड़ देंगे। आज मैं जेल से बाहर आ गया हूं और मेरे हौसले एक सौ गुना ज्यादा बढ़ गए हैं। उन्होंने कहा- मैं सच्चा था, मैं सही था इसलिए भगवान ने मेरा साथ दिया। ऊपर वाले ने मुझे रास्ता दिखाया, ऐसे ही भगवान रास्ता दिखाता रहे। ये राष्ट्रविरोधी ताकतें देश को जो अंदर से कमजोर करने की कोशिश कर रही हैं मैं इनके खिलाफ ऐसे ही लडूं।

गौरतलब है कि केजरीवाल के खिलाफ शराब नीति में हुए कथित घोटाले और धन शोधन के मामले में ईडी और सीबीआई दोनों ने केस दर्ज किया है। ईडी ने उन्हें 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। बाद में 26 जून को सीबीआई ने उन्हें जेल से ही हिरासत में लिया। ईडी मामले में केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से 12 जुलाई को जमानत मिली थी। बहरहाल, शुक्रवार को जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जवल भुइयां की बेंच ने फैसला सुनाते हुए एजेंसी को फटकार लगाई और कहा- ईडी के मामले में जमानत मिलने के बावजूद केजरीवाल को जेल में रखना न्याय का मजाक उड़ाना होगा। गिरफ्तारी की ताकत का इस्तेमाल बहुत सोच समझकर किया जाना चाहिए।

जस्टिस उज्ज्वल भुइंया ने कहा- सीबीआई की गिरफ्तारी जवाब से ज्यादा सवाल खड़े करती है। जैसे ही ईडी केस में उन्हें जमानत मिलती है। सीबीआई एक्टिव हो जाती है। ऐसे में गिरफ्तारी के समय पर सवाल खड़े होते हैं। उन्होंने कहा- सीबीआई को निष्पक्ष दिखना चाहिए और हरसंभव प्रयास किया जाना चाहिए ताकि गिरफ्तारी में मनमानी न हो। जांच एजेंसी को पिंजरे में बंद तोते की धारणा को दूर करना चाहिए।

जस्टिस सूर्यकांत ने सीबीआई की गिरफ्तारी को सही बताते हुए कहा- अगर कोई व्यक्ति पहले से हिरासत में है। जांच के सिलसिले में उसे दोबारा गिरफ्तार करना गलत नहीं है। सीबीआई ने बताया है कि उनकी जांच क्यों जरूरी थी। याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी अवैध नहीं है। उन्होंने कहा- सीबीआई ने नियमों का कोई उल्लंघन नहीं किया है। उन्हें जांच की जरूरत थी। इसलिए इस केस में गिरफ्तारी हुई।

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