नई दिल्ली। दवाओं के भ्रामक विज्ञापन देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी के बाद पतंजलि समूह के बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक बालकृष्ण ने बिना शर्त माफी मांगी हालांकि पहले उनके वकील ने माफीनामा पढ़ा था । जिसे अदालत ने मंजूर नहीं किया और रामदेव व बालकृष्ण दोनों को जवाब दाखिल करने के लिए आखिरी मौका दिया।
अदालत ने कहा कि एक हफ्ते में जवाब दाखिल कीजिए। अगली सुनवाई 10 अप्रैल को होगी। साथ ही सर्वोच्च अदालत ने यह भी कहा कि अगली सुनवाई पर रामदेव और बालकृष्ण दोनों मौजूद रहें।
इससे पहले मंगलवार की सुनवाई के दौरान रामदेव के वकील बलवीर सिंह ने अदालत से कहा कि योगगुरु माफी मांगने के लिए यहां मौजूद हैं। भीड़ की वजह से कोर्ट रूम नहीं आ पाए। इस बीच अदालत ने उनका हलफनामा देखने के बाद फटकार लगाई और कहा कि यह उचित हलफनामा नहीं है।
जब वकील बलवीर सिंह ने माफीनामा पढ़ा तो अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में आदेशों का उल्लंघन करने वाला माफी मांगता है। हमें रामदेव के वकील का माफीनामा नहीं सुनना।
जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने कहा- हम दोनों के खिलाफ झूठी बयानबाजी का केस चलाने का निर्देश रजिस्ट्रार को देते हैं। अदालत ने बलबीर सिंह से कहा- आप तैयार रहिएगा। सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद रामदेव और बालकृष्ण कोर्ट रूम पहुंचे और रामदेव ने बिना शर्त माफी मांगी।
बेंच ने कहा- केवल सुप्रीम कोर्ट नहीं, देश की हर अदालत के आदेश का सम्मान होना चाहिए। आपको अदालत के निर्देशों का पालन करना था और आपने हर सीमा लांघी।
अदालत ने कहा कि जब पतंजलि हर कस्बे में जाकर कह रही थी कि एलोपैथी से कोविड में कोई राहत नहीं मिलती तो केंद्र ने अपनी आंखें क्यों बंद कर रखी थीं? सही हलफनामा फाइल नहीं करने पर केंद्र की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जो हुआ, वो नहीं होना चाहिए था।
मेहता ने रामदेव और पतंजलि के वकीलों को सहयोग करने की पेशकश की।
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