म्यांमार से सीमा बंद करेगी सरकार

म्यांमार से सीमा बंद करेगी सरकार

गुवाहाटी। म्यांमार से बढ़ती घुसपैठ पर रोक लगाने के लिए भारत सरकार सीमा बंद करने पर विचार कर रही है। असम की तर्ज पर म्यांमार भारत की सीमा पर बाड़ लगाई जाएगी। इतना ही नहीं सरकार बिना वीजा के खुली आवाजाही को बंद करने पर भी विचार कर रही है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को असम में इसका ऐलान किया। म्यांमार से भाग कर आ रहे आतंकवादियों और घुसपैठ को रोकने के लिए दोनों देशों के बीच खुली आवाजाही को सरकार बंद करने जा रही है।

अमित शाह ने गुवाहाटी में असम पुलिस की पासिंग आउट परेड में शनिवार को कहा- म्यांमार के साथ हमारी खुली सीमा है। इसे हम बांग्लादेश की तर्ज पर बाड़ लगाकर सुरक्षित करेंगे। उन्होंने यह ऐलान भी किया कि सरकार दोनों के बीच खुली आवाजाही के करार पर भी फिर से विचार कर रही है। सीमा पार से आने-जाने की इस सहूलियत को ही सरकार बंद करने जा रही है। सीमा के दोनों तरफ के लोगों में जातीय व पारिवारिक संबंध हैं, जिसकी वजह से लोगों का आना-जाना रहता है।

गौरतलब है कि म्यांमार की सीमा भारत के चार राज्यों से लगती है। दोनों देशों के बीच करीब 16 सौ किलोमीटर की सीमा है। भारत और म्यांमार के बीच खुली आवाजाही की संधि 1970 में हुई थी। तब से सरकार इस समय समय पर इस संधि का नवीनीकरण करती रहती है। आखिरी बार 2016 में इसका नवीनीकरण किया गया था। असल में म्यांमार में विद्रोही गुटों और सेना के बीच लड़ाई तेज हो रही है। इसी वजह से सीमा पार से घुसपैठ बढ़ी है और उसी को ध्यान में रख कर अमित शाह ने यह बयान दिया है।

पिछले कुछ दिनों में म्यांमार के छह सौ सैनिकों ने वहां से भागकर भारत के मिजोरम में पनाह ली है। मिजोरम सरकार ने सैनिकों को वापस म्यांमार भेजने के लिए केंद्र से मदद मांगी थी। खबरों के मुताबिक म्यांमार से भागे सैनिकों ने मिजोरम के लांग्टलाई जिले के तुईसेंटलांग में असम राइफल्स के पास शरण ले रखी है। सैनिकों ने बताया कि पश्चिमी म्यांमार राज्य के रखाइन में एक हथियारबंद विद्रोही गुट अराकन आर्मी के उग्रवादियों ने उनके शिविरों पर कब्जा कर लिया, जिसके बाद वे भागकर भारत आ गए।

मिजोरम के हालात को देखते हुए मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने शिलांग में हुई एक बैठक में गृह मंत्री अमित शाह से इस मुद्दे पर बातचीत की थी। इस दौरान मिजोरम ने राज्य में शरण लेने वाले म्यांमार सेना के जवानों की जल्द वापसी की जरूरत पर जोर दिया था। लालदुहोमा ने कहा था- लोग शरण लेने के लिए म्यांमार से भागकर हमारे देश आ रहे हैं और हम इंसानियत के नाते उनकी मदद कर रहे हैं। गौरतलब है कि अराकन आर्मी म्यांमार में सबसे मजबूत बागी गुट है, जिसने कई शहरों पर कब्जा कर लिया है।

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