नई दिल्ली। कारोबारियों को जीएसटी का नोटिस देकर उनको परेशान करने और उन्हें धमकी देने के आरोपों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख दिखाया है। अदालत ने केंद्र सरकार से जीएसटी कानून के तहत एक से पांच करोड़ रुपए के डिफॉल्ट के लिए जारी किए गए नोटिस और गिरफ्तारियों का पूरा आंकड़ा मांगा है। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि कभी कभी गिरफ्तारियां नहीं की जाती हैं, लेकिन लोगों को नोटिस जारी करके, गिरफ्तारी की धमकी देकर परेशान किया जाता है।
सर्वोच्च अदालत ने गुरुवार को जीएसटी एक्ट, कस्टम एक्ट और धन शोधन कानून यानी पीएमएलए के प्रावधानों को चुनौती देने वाली 281 याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा, हम नागरिकों की आजादी छीनने से बचाने के लिए दिशा निर्देश तय कर सकते हैं, लेकिन उनका उत्पीड़न नहीं होने देंगे। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने इससे पहले अदालत को बताया था कि जीएसटी कानून के तहत अधिकारी अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हैं। गिरफ्तारी नहीं की जाती है, लेकिन लोगों को नोटिस जारी करके गिरफ्तारी की धमकी दी जाती है। यह लोगों की स्वतंत्रता को कम कर रहा है।
इस पर जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने केंद्र की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसीटर जनरल एसवी राजू से कहा कि सभी मामलों में लोगों को सलाखों के पीछे नहीं भेजा जा सकता है। बेंच ने कहा कि धोखाधड़ी के मामलों और अनजाने में हुई चूक के बीच अंतर होना चाहिए। कोर्ट ने जीएसटी कानून की धारा 69 में गिरफ्तारी की शक्तियों पर स्थिति साफ न होने पर चिंता जाहिर की। बहरहाल, एएसजी एसवी राजू ने कहा कि वे जीएसटी कानून के तहत नोटिस और गिरफ्तारियों से जुड़ा आंकड़ा इकट्ठा करेंगे। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि राज्यों से संबंधित ऐसी जानकारी इकट्ठा करना मुश्किल होगा, लेकिन वे अगली सुनवाई के दिन बेंच के सवालों का जवाब देने की कोशिश करेंगे। मामले की अगली सुनवाई नौ मई को होगी।