नई दिल्ली। भ्रामक विज्ञापनों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रवैया अख्तियार करते हुए पंतजलि समूह के बाबा रामदेव को हाजिर होने का नोटिस दिया है। पंतजलि समूह के प्रबंधन निदेशक बालकृष्ण को भी हाजिर होने का नोटिस जारी किया गया है। कंपनी के ऊपर लोगों को गुमराह करने वाले दवा विज्ञापन चलाने का आरोप लगा है। इस मामले में पहले भी कंपनी और उससे जुड़े लोगों को नोटिस भेजा गया था लेकिन उसका जवाब नहीं देने की वजह से कोर्ट में पेश होने को कहा गया है। supreme court notice baba ramdev
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अदालत की इस नोटिस के बाद रामदेव और बालकृष्ण को अगली तारीख पर कोर्ट में पेश होना होगा। कोर्ट ने नोटिस जारी कर ये भी पूछा है कि उनके खिलाफ क्यों न अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। इससे पहले 27 फरवरी को इस मामले की सुनवाई हुई थी। 27 फरवरी की सुनवाई में कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद के गुमराह करने वाले दवा विज्ञापनों पर रोक लगाई थी। इसके अलावा अवमानना कार्यवाही में कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
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गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल ही गुमराह करने वाले विज्ञापन जारी नहीं करने का निर्देश दिया था, लेकिन कंपनी ने इसे नजरअंदाज किया। सुप्रीम कोर्ट में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, आईएमए की ओर से 17 अगस्त 2022 को दायर की गई याचिका में कहा गया है कि पतंजलि ने कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी के खिलाफ निगेटिव प्रचार किया। वहीं खुद की आयुर्वेदिक दवाओं से कुछ बीमारियों के इलाज का झूठा दावा किया।
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पिछली सुनवाई में आईएमए ने दिसंबर 2023 और जनवरी 2024 में प्रिंट मीडिया में जारी किए गए विज्ञापनों को कोर्ट के सामने पेश किया। इसके अलावा 22 नवंबर 2023 को पतंजलि के बालकृष्ण के साथ रामदेव की एक प्रेस कांफ्रेंस के बारे में भी बताया। इस प्रेस कांफ्रेंस से एक दिन पहले यानी 21 नवंबर की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को भ्रम फैलाने वाले सभी विज्ञापनों को तुरंत बंद करने को कहा था। पतंजलि ने अपने विज्ञापनों में मधुमेह और अस्थमा को पूरी तरह से ठीक करने का दावा किया था।