मसला है कथित तौर पर पैसे ले कर लोकसभा में सवाल पूछने का। आरोप है कि महुआ ने उद्योगपति गौतम अडानी के कामकाज से संबंधित बहुत-से सवाल संसद में पूछे। …इसलिए महुआ मोइत्रा कितनी ही पाक-दामन हों, उन पर लगे छींटे हंगामा मचा रहे हैं।… उन्हें तो अग्निपरीक्षा दे कर ही ख़ुद को पवित्र साबित करना होगा। इस समूचे प्रसंग में हमारे-आपके लिए सबसे बड़े सुकून की बात यह है कि महुआ तो कैसे गंगा नहाएंगी, वे जानें, मगर इस पृथ्वी पर कोई भी अग्निकुंड ऐसा नहीं है, जिस से गुज़र कर अडानी अपने को निर्दोष साबित कर पाएं।
इस कहानी में चार अहम किरदार हैं। तृणमूल कांग्रेस की लोकसभा सदस्य महुआ मोइत्रा, हीरानंदानी समूह के मालिक निरंजन हीरानंदानी के पुत्र दर्शन, भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा सदस्य निशिकांत दुबे और कारोबारी दुनिया पर निगाह रखने वाली पत्रकार सुचेता दलाल। मसला है कथित तौर पर पैसे ले कर लोकसभा में सवाल पूछने का। आरोप है कि महुआ ने उद्योगपति गौतम अडानी के कामकाज से संबंधित बहुत-से सवाल संसद में पूछे। उन्होंने इसके लिए दर्शन हीरानंदानी से कई फ़ायदे लिए। इस आधार पर महुआ से इस्तीफ़े की मांग की जा रही है।
अब एक-एक कर इन चार किरदारों के बारे में थोड़ा जान लीजिए। 49 बरस की महुआ कोलकाता में अपनी आरंभिक पढ़ाई पूरी करने के बाद उच्च अध्ययन के लिए अमेरिका चली गईं। वहां के मशहूर विश्वविद्यालयों में आर्थिक विषयों की पढ़ाई की और वहीं विश्व प्रसिद्ध निजी बैंक और संपत्ति प्रबंधन कंपनी जे.पी. मॉर्गन में नौकरी करने लगीं। 2009 में जब महुआ ने भारत की राजनीति में प्रवेश के लिए नौकरी छोड़ी तो वे मॉर्गन में उपाध्यक्ष थीं। आमतौर पर आठ से दस साल काम करने वाला व्यक्ति इस पद तक पहुंच जाता है।
देश वापस आने के बाद महुआ ने युवा कांग्रेस में काम करना शुरू किया। युवा कांग्रेस के ‘आम आदमी का सिपाही’ कार्यक्रम में काम करते हुए उन्होंने साल भर के भीतर ही अपनी अच्छी पहचान बना ली। कांग्रेस पार्टी में तरक्की की धीमी चाल महुआ को रास नहीं आ रही थी। सो, उन्होंने ममता बनर्जी की तरफ़ अपने क़दम बढ़ाए और तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गईं। 2016 में ममता ने उन्हें विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारी दे दी और जीत कर वे विधायक बन गईं। 2019 के चुनाव में उन्हें लोकसभा का प्रत्याशी बना दिया गया। सो, वे चुन कर संसद में आ गईं।
कहानी के दूसरे किरदार दर्शन हीरानंदानी दुबई में रहते हैं। भवन निर्माण वग़ैरह से जुड़े काम करने वाले हीरानंदानी समूह का 20-25 हज़ार करोड़ रुपए का कारोबार है। दर्शन के दादा यानी निरंजन के पिता लखूमल कान-नाक-गला डॉक्टर थे। उन्हें पद्मभूषण सम्मान भी मिला था। निरंजन चार्टर्ड एकाउंटेंट थे। उन्होंने भवन निर्माण के कारोबार की शुरुआत कोई चार दशक पहले की थी। अब उनका समूह दुनिया की सौ सबसे बड़ी कंपनियों में शामिल है। बेटे दर्शन के अलावा उनकी एक बेटी भी है – प्रिया। दर्शन का विवाह दिल्ली के व्यवसायी प्रदीप झालानी की बेटी नेहा से हुआ है। प्रिया की शादी लंदन में व्यवसाय कर रहे साइरस वंद्रेवाला से हुई है।
पैसे ले कर सवाल पूछने का आरोप महुआ पर लोकसभा में सबसे पहले लगाने वाले भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे राजनीति में आने के पहले एस्सार उद्योग समूह में उच्चाधिकारी थे। कहानी का यह तीसरा पात्र 2009 में पहली बार लोकसभा में आया था। झारखंड की सियासत में विवादों के बादल निशिकांत के आसपास हमेशा से तैरते रहे हैं। 2014 में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो निशिकांत ने मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए पूरा ज़ोर लगा दिया था। तब से वे लगातार अपनी यह कोशिश जारी रखे हुए हैं। लेकिन 2019 में तीसरी बार लोकसभा में चुन कर आने के बावजूद अब तक उन्हें मंत्री नहीं बनाने की वज़ह सिर्फ़ प्रधानमंत्री को मालूम है।
निशिकांत ने आरोप लगाया है कि महुआ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बदनाम करने के मकसद से अडानी समूह के खिलाफ़ संसद में सवाल पूछे। उनका कहना है कि महुआ ने इसके लिए हीरानंदानी समूह से कई फ़ायदे तो लिए ही, पैसे भी लिए। अपने पर लगे आरोपों के जवाब में महुआ ने निशिकांत पर मानहानि का मुकदमा ठोक दिया है। निशिकांत ने लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिख कर कहा है कि महुआ ने सांसद के नाते मिले विशेषाधिकार का दुरुपयोग किया है और उनकी लोकसभा सदस्यता ख़त्म की जानी चाहिए।
दर्शन हीरानंदानी ने लोकसभा की आचार समिति को दिए अपने हलफ़नामे में कहा है कि महुआ ने अपने अधिकृत संसदीय एकाउंट की लॉग-इन आईडी का पासवर्ड उन्हें दिया था ताकि वे सवाल सीधे ही लोकसभा सचिवालय को भेज सकें। महुआ का कहना है कि दो-तीन दिन पहले तो हीरानंदानी समूह ने सार्वजनिक बयान दिया था कि सारे आरोप बेबुनियाद हैं। अब दर्शन से यह हलफ़नामा प्रधानमंत्री कार्यालय ने दबाव डाल कर दाखिल कराया है। उन्हें धमकी दी गई कि अगर वे ऐसा नहीं करेंगे तो उनके सारे सरकारी ठेके रद्द कर दिए जाएंगे और समूह का पूरा कारोबार चौपट हो जाएगा।
क़िस्से की चौथी किरदार पत्रकार सुचेता दलाल हैं। पिछले चालीस साल में उन्होंने इकॉनामिक टाइम्स, बिजिनेस स्टेंडर्ड और टाइम्स ऑफ इंडिया जैसे कई अख़बारों में बतौर वित्तीय पत्रकार काम किया है। उन्होंने हर्षद मेहता शेयर घोटाला, एनरॉन घोटाला, आईडीबीआई बैंक घोटाला और केतन पारीख शेयर घोटाला उजागर करने जैसे धमाके किए हैं। वे पद्मश्री से सम्मानित हैं। पिछले 17 साल से वे अपने पति द्वारा संचालित पत्रिका ‘मनी लाइफ’ के लिए लिखती हैं। सुचेता ने अडानी समूह की कई गड़बड़ियों को उजागर करने वाली विस्तृत ख़बरें लिखी हैं। उनके बारे में कहा जा रहा है कि वे अडानी के ख़िलाफ़ सवाल पूछने में महुआ को सक्रिय मदद कर रही थीं। मगर सुचेता का कहना है कि वे और महुआ तो एक-दूसरे को जानते तक नहीं हैं।
कारोबारी संसार की इस घनचक्करी भूलभुलैया में कई खुरपेंच हैं। यह अनायास नहीं है कि पिछले कुछ दशकों में हमारे निर्वाचित और नामजद जनप्रतिनिधियों की जाजम का रंग तेजी से बदला है। एक वक़्त समाज सेवा, शिक्षा-जगत और कृषि से जुड़े लोगों का अनुपात संसद और विधानसभाओं में अच्छा-खासा हुआ करता था। अब इन हलकों से आने वाले हाशिए पर हैं। पिछले कुछ दशकों से राजनीति के निर्वाचित दरीचे और समूचे सांगठनिक कैनवस पर कारोबारी विद्याओं में माहिर पेशेवर विशेषज्ञ काबिज़ होते जा रहे हैं। वे पश्चिमी दुनिया के बड़े-छोटे वित्तीय संस्थानों के छोटे-बड़े पदों पर काम करते हुए सियासत में घुसे हैं। वे निजी कॉरपोरेट संस्थानों की ध्रुव-कुर्सियां संभालने के बाद राजनीति के मंच पर अवतरित हुए हैं। वे अलग-अलग अदालतों में कॉरपारेट दुनिया के अपने मुवक्किल-बादशाहों को ‘न्याय दिलाने’ के लिए बतौर उनके वकील लड़ते-लड़ते लोकतंत्र के अलग-अलग मंदिरों में पुजारी बने हैं। वे आर्थिक विषयों और आंतरिक तथा बाह्य सुरक्षा संबंधी प्रशासनिक ज़िम्मेदारियों का निर्वाह-कुनिर्वाह करने का अनुभव ले कर राजनीति पर कब्जा करने आए हैं।
इसलिए महुआ मोइत्रा कितनी ही पाक-दामन हों, उन पर लगे छींटे हंगामा मचा रहे हैं। आप उलट कर पूछ सकते हैं कि उन पर पैसे ले कर सवाल पूछने का इल्ज़ाम लगाने वाले अडानी के हज़ारों करोड़ रुपए की रहस्यमयी आवाजाही पर ख़ामोश क्यों हैं? आप गौतम अडानी से दर्शन हीरानंदन की अदावत के पीछे के कारण भी गिना सकते हैं। आप निशिकांत दुबे के नैतिक इतिहास पर भी प्रश्न खड़े कर सकते हैं। मगर इस सबसे महुआ का पल्लू क्या सफेद झक हो जाएगा? अडानी का चेहरा भले ही कोयले की कालिख से कलूटा है, मगर इससे महुआ के सिर के पीछे आभा-चक्र स्वयमेव कैसे घूमने लगेगा? उन्हें तो अग्निपरीक्षा दे कर ही ख़ुद को पवित्र साबित करना होगा। इस समूचे प्रसंग में हमारे-आपके लिए सबसे बड़े सुकून की बात यह है कि महुआ तो कैसे गंगा नहाएंगी, वे जानें, मगर इस पृथ्वी पर कोई भी अग्निकुंड ऐसा नहीं है, जिस से गुज़र कर अडानी अपने को निर्दोष साबित कर पाएं।