बुंदेलखंड को उपलब्धियों की उम्मीद

बुंदेलखंड को उपलब्धियों की उम्मीद

भोपाल। प्रदेश में पिछले कुछ महीनों में उज्जैन, जबलपुर और ग्वालियर में इन्वेस्टर समिट का आयोजन हो चुका है। 27 सितंबर को सागर में रीजनल इंडस्ट्रीज कॉन्क्लेव होने जा रहा है जिसको लेकर स्थानीय स्तर पर तैयारिया जोरों पर चल रही है। बुंदेलखंड वासियों को उम्मीद है कि इस बार कुछ ऐसी उपलब्धि मिल जाए जिससे बुंदेलखंड में विकास को धरातल पर गति मिल सके।

दरअसल, रीजनल इंडस्ट्रीज कॉन्क्लेव करने का उद्देश्य यही है कि स्थानीय स्तर पर जरूरत के हिसाब से उद्योगों को स्थापित किया जा सके। इसके लिए बड़ी तादाद में निवेश होना जरूरी है। जिस तरह से बुंदेलखंड के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए लगातार आवाज उठाई जा रही है उससे एक बार फिर उम्मीद की जा रही है कि इस बार यह समिट सागर को तोहफा देकर जाएगी। प्रदेश में जब से मुख्यमंत्री के रूप में डॉक्टर मोहन यादव ने इन्वेस्टर समिट का आयोजन शुरू किया है तब से अब तक जिन शहरों में आयोजन हो चुके हैं उसमें मुख्यमंत्री के गृह नगर उज्जैन में सर्वाधिक 1 लाख करोड़ के निवेश के प्रस्ताव आए थे। इसके बाद जबलपुर में 22,000 करोड़ से ज्यादा के प्रस्ताव आए और ग्वालियर में रीजनल इंडस्ट्रीज कान्क्लेव करने की शुरुआत हुई और 8,000 करोड़ के लगभग निवेश की प्रस्ताव आए।

बहरहाल, बुंदेलखंड के मुख्यालय सागर में 27 सितंबर को पीटीसी ग्राउंड में रीजनल इंडस्ट्री कान्क्लेव होने जा रहा है इसके लिए स्थानीय स्तर पर जहां तैयारी की जा रही है। वहीं राजधानी भोपाल से भी लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है। इसी के चलते सागर के प्राचीन और प्रसिद्ध बीड़ी उद्योग एवं अगरबत्ती उद्योग की सिमटने पर भी चर्चा शुरू हो गई और इन उद्योगों को फिर से पुनर्जीवित करने जैसी बहस भी छिड़ गई है।

हांलाकि एक बड़ा वर्ग चाहता है कि सागर में बड़े उद्योग आयें जिस तरह से सागर जिले में बीना रिफाइनरी के विस्तार से ही कृषि कपड़ा ऊर्जा इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में अच्छा खासा निवेश आ सकता है। इस तरह बुंदेलखंड की जमीन के अंदर विश्व प्रसिद्ध हीरा, पन्ना, लोह अयस्क, खनिज संपदा मौजूद है। इससे संबंधित उद्योगों पर निवेश आता है तो इस प्रकार के उद्योग क्षेत्र के विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण होंगे। छोटे-छोटे उद्योगों की महत्वपूर्ण इकाइयां भी लगाई जा सकती है। सागर जिले का टमाटर मुंबई जाता है और टमाटो केचप के रूप में वापस आता है जिसकी बड़ी हुई लागत परिवहन के खर्चे के रूप में हो जाती है। यदि यही उद्योग सागर जिले में लग जाए तो कम कीमत पर तैयार हो सकता है। ऐसे ही कई उद्योगों की संभावनाएं सागर में हिलोरे ले रही है।

कुल मिलाकर सागर में होने वाले इन्वेस्टर समिट को लेकर एक बार फिर लोगों ने उम्मीद लगाई है। निवेश के आने वाले प्रस्ताव और धरातल पर उतरने वाले उद्योगों से ही पता चलेगा कि बुंदेलखंड वासियों के उम्मीद के टिमटिमाते दियों में कितना तेल बाकी है।

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