चुनाव आयोग ने चार राज्यों में विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। आयोग की ओर से मतदाता सूची की जांच और 20 अगस्त तक फाइनल मतदाता सूची जारी करने की घोषणा कर दी गई है। लेकिन क्या इस बार भी सभी राज्यों के चुनाव अलग अलग होंगे? यानी एक एक महीने के अंतराल पर चार महीने में चार राज्यों के विधानसभा चुनाव! चुनाव आयोग को अब पूरे देश में एक साथ सभी चुनाव कराने की तैयारी करनी है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी की सिफारिशों के मुताबिक 2029 से लोकसभा और सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ होंगे। लेकिन क्या उससे पहले आयोग चार राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ नहीं करा सकता है?
पिछली बार यानी 2019 में महाराष्ट्र का विधानसभा चुनाव अक्टूबर में हुआ था। इसके अगले महीने यानी नवंबर में हरियाणा का चुनाव हुआ और फिर दिसंबर में झारखंड का चुनाव हुआ। इन तीनों राज्यों के चुनाव नतीजे अलग अलग जारी हुए। इस बार जम्मू कश्मीर का चुनाव भी इसमें जुड़ जाएगा। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में जम्मू कश्मीर में 30 सितंबर तक विधानसभा चुनाव कराने को कहा है। सात चरण का लोकसभा चुनाव समाप्त होने के बाद प्रेस कांफ्रेंस में मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा था कि आयोग सुप्रीम कोर्ट की ओर से दी गई समय सीमा पर चुनाव कराने को तैयार है।
सो, 30 सितंबर से पहले जम्मू कश्मीर में विधानसभा का चुनाव होगा और उसके नतीजे घोषित होंगे। सितंबर में दूसरे किसी राज्य में शायद ही चुनाव हो पाएगा क्योंकि उस समय तक मानसून की वापसी हो रही होती है। उत्तर भारत के राज्यों में मानसून लौटा नहीं होता है। यानी बारिश और बाढ़ की संभावना रहती है। अक्टूबर में हर हाल में महाराष्ट्र का चुनाव कराना होगा क्योंकि महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल पांच नवंबर को खत्म हो रहा है। उससे पहले नतीजे आ जाने चाहिए और विधानसभा का गठन हो जाना चाहिए।
हरियाणा विधानसभा का कार्यकाल 25 नवंबर को खत्म होने वाला है। अगर चुनाव आयोग चाहे तो इसका चुनाव भी महाराष्ट्र के साथ हो सकता है। झारखंड विधानसभा का कार्यकाल पांच जनवरी 2025 तक है। तभी वहां दिसंबर में मतदान होता है। चुनाव आयोग अक्टूबर में महाराष्ट्र के साथ वहां का भी चुनाव करा सकता है। लेकिन कम से कम अभी तक की तैयारियों से ऐसा नहीं लग रहा है कि चुनाव आयोग इन सभी राज्यों में एक साथ चुनाव कराने की तैयारी कर रहा है। जम्मू कश्मीर का चुनाव पहले करा कर आयोग बाकी तीन राज्यों का चुनाव एक साथ करा सकता है। पिछले दो चुनाव अलग अलग हुए हैं। लेकिन तब भाजपा महाराष्ट्र में अपनी जीत को लेकर आश्वस्त थी। वहां की जीत का असर बाकी दो राज्यों पर भी पड़ा था। लेकिन इस बार महाराष्ट्र में संकट है। अगर वहां हारे तो उसका असर बाकी दो राज्यों पर भी दिखेगा, जहां लोकसभा में भजपा का प्रदर्शन पहले की तरह अच्छा नहीं रहा है। तभी भाजपा के नेता भी इस बार चाहेंगे कि एक साथ चुनाव हो जाए। यह देखना दिलचस्प होगा कि आयोग क्या फैसला करता है।