सुप्रीम कोर्ट के जाने माने वकील और राज्यसभा के पूर्व सांसद अभिषेक सिंघवी फिर से राज्यसभा जाने के लिए बुरी तरह से बेचैन हैं। वे ऐसे छटपटा रहे हैं, जैसे राज्यसभा नहीं गए तो प्राण छूट सकते हैं। वे 2018 में पश्चिम बंगाल से राज्यसभा गए थे और इस बार उनको कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश से टिकट दी थी, जहां भाजपा उम्मीदवार के साथ मतों की बराबरी हो गई और वे लॉटरी में हार गए। उन्होंने लॉटरी से फैसला करने की प्रक्रिया को अदालत में चुनौती दी है। चुनाव हारने के बाद बताया जा रहा है कि उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर दबाव डाला। तभी केजरीवाल की ओर से स्वाति मालीवाल का इस्तीफा कराने की पहल हुई, जिसका नतीजा यह हुआ कि मालीवाल बागी हो गईं। उन्होंने केजरीवाल के पीए बिभव कुमार पर आरोप लगाया कि उन्होंने उनके साथ मारपीट की है। इस चक्कर में बिभव एक महीने से ज्यादा समय से जेल में बंद हैं।
अब खबर है कि सिंघवी ने कांग्रेस आलाकमान को मजबूर किया है कि उनको कहीं से राज्यसभा भेजा जाए। जानकार सूत्रों का कहना है कि सिंघवी के कहने पर कांग्रेस आलाकमान यानी सोनिया व राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी से बात की और कुछ इंतजाम करने को कहा। पहले कांग्रेस के एक युवा सांसद की सीट खाली करा कर सिंघवी को भेजने की चर्चा थी। लेकिन रेवंत रेड्डी ने दूसरा रास्ता निकाला। उन्होंने भारत राष्ट्र समिति के के केशव राव को पार्टी में शामिल कराया और राज्यसभा से उनका इस्तीफा करा दिया। इसके बाद केशव राव को तेलंगाना सरकार का सलाहकार बना दिया गया है और कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया गया है। कांग्रेस के जानकार सूत्रों का कहना है कि उनकी सीट पर दो साल के लिए सिंघवी राज्यसभा जाएंगे। फिर 2026 में उनके लिए किसी और राज्य से व्यवस्था की जाएगी।