देश में लोकसभा के चुनाव चल रहे हैं और उसके बीच प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच एक अलग ही स्तर का तमाशा चल रहा है। केजरीवाल न कितनी बार खाना खाया, क्या खाया, आम खाया या नहीं, मिठाई खाई या नहीं इसकी बहस चल रही है। इस बहस के बीच ईडी ने दिल्ली का राउज एवेन्यू कोर्ट को बताया कि केजरीवाल जेल में आलू पूड़ी, मिठाई और आम इसलिए खा रहे हैं ताकि उनका शुगर बढ़ जाए और उनको जमानत मिल जाए। सोचें, कैसी हास्यास्पद और बेसिरपैर की बात है। ईडी ने जेट एयरवेज के मालिक रहे नरेश गोयल को गिरफ्तार किया है। उनको कैंसर हैं और उनकी हालत बहुत खराब है। उनकी पत्नी भी कैंसर की पेशेंट हैं। लेकिन ईडी ने ऐड़ी चोटी का जोर लगा कर नरेश गोयल को जमानत मिलने से रोका।
सोचें, कैंसर के गंभीर रूप से बीमार मरीज को जमानत देने का ईडी विरोध करती है और उसके विरोध की वजह से मरीज को जमानत नहीं मिल पा रही है। लेकिन उसी ईडी का कहना है कि केजरीवाल की शुगर बढ़ जाएगी तो उनको जमानत मिल जाएगी! ईडी के अधिकारी इसी तरह की बातों से अपनी विश्वसनीयता खराब कर रहे हैं। सबको पता है कि भारत को दुनिया का डायबिटीज कैपिटल यानी मधुमेह की राजधानी कहते हैं। यहां सात करोड़ से ज्यादा लोगों को डायबिटीज है। अगर शुगर बढ़ने के आधार पर जमानत मिलने लगे तो पूरी जेल ही खाली हो जाए। इस मामले का दूसरा पहलू यह है कि यह केजरीवाल का प्रचार पाने का तरीका है। वे लोकसभा चुनाव के गंभीर विमर्श के बीच किसी तरह से प्रचार में बने रहना चाहते हैं। उनको लग रहा है कि अगर मीडिया में किसी तरह से खबरें नहीं आती रहीं तो लोकसभा चुनाव के शोर में लोग भूल जाएंगे कि वे जेल में बंद हैं। दूसरे, वे अपनी डायबिटीज और जेल में ठीक से ध्यान नहीं दिए जाने का मुद्दा बना कर लोगों की सहानुभूति हासिल करना चाहते हैं। कुछ डायबिटीज मरीजों की स्वाभाविक हमदर्दी उनके साथ हो सकती है।