जमानत के लिए केजरीवाल का दबाव

जमानत के लिए केजरीवाल का दबाव

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जमानत हासिल करने के लिए दबाव की राजनीति कर रहे हैं। मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं देना और जेल से सरकार चलाने के उपाय करना इसी दबाव की राजनीति का हिस्सा है। उनको पता है कि मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देते ही सारा फोकस उनके ऊपर से हट जाएगा, जैसे झारखंड में हेमंत सोरेन के मामले में हुआ है।

मीडिया के साथ साथ विदेशी मिशन, जो उनके पक्ष में बयान दे रहे थे, उनका भी ध्यान हट जाएगा। फिर लंबा समय जेल में गुजारना पड़ सकता है। हालांकि अब भी ऐसा नहीं है कि दबाव की राजनीति कारगर हो रही है लेकिन थोड़े दिन और ऐसा चला तो उनको कुछ लाभ मिल सकता है।

केजरीवाल की पार्टी इसका प्रचार कर रही है कि जेल में उनको सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। मुलाकात सामान्य कैदी की तरह हो रही है, जबकि पहले राजनीतिक लोगों की मुलाकात अलग कमरे में बैठा कर होती थी। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि जेल प्रशासन केजरीवाल के साथ आतंकवादी की तरह बरताव कर रहा है।

इसके साथ ही मान और राज्यसभा सांसद संदीप पाठक ने आगे की रणनीति बताते हुए कहा कि केजरीवाल जेल से ही सरकार चलाएंगे और इसके लिए हर महीने वे दो मंत्रियों से मिलेंगे। उनको कामकाज के बारे में निर्देश देंगे। इस तरह से उन्होंने न्यायपालिका, केंद्र सरकार, मीडिया, दिल्ली और देश की जनता और विश्व बिरादरी को भी मैसेज दिया है कि वे महीनों जेल में रह सकते हैं लेकिन इस्तीफा नहीं देंगे और जेल से ही सरकार चलाएंगे।

यह भाजपा और केंद्र सरकार दोनों का सिरदर्द बढ़ाने वाला है क्योंकि अगर वे बिना इस्तीफा दिए लंबे समय तक जेल में रहते है तो उनके ऊपर फोकस बना रहेगा। लेकिन अगर उनको जमानत मिल जाती है तो देश भर में घूम घूम कर विपक्षी गठबंधन के लिए प्रचार करेंगे। तभी केंद्र सरकार को यह आकलन करना होगा कि जेल में बंद केजरीवाल कम नुकसानदेह हैं या जमानत पर छूटे केजरीवाल? यह देखना दिलचस्प होगा कि पहले कौन पीछे हटता है।

केजरीवाल लंबे समय तक जेल में रहने की तैयारी का संकेत दे रहे हैं लेकिन उनकी पार्टी के जानकार नेताओं का कहना है कि वे उम्मीद कर रहे हैं कि सर्वोच्च न्यायपालिका से कुछ राहत हासिल हो जाए। ध्यान रहे गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उस पर ईडी को नोटिस जारी किया है। इस महीने के आखिर में उस पर सुनवाई होनी है। केजरीवाल उम्मीद कर रहे हैं कि वहां से कुछ राहत मिल जाएगी।

अगर ईडी के आरोपों को अदालत निरस्त नहीं करेगी तब भी उनकी जमानत का रास्ता साफ हो सकता है। लेकिन अगर सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली तब वे क्या करेंगे यह भी अहम है। आम आदमी पार्टी के एक नेता का कहना है कि अगर उनकी दबाव की राजनीति कारगर नहीं होती है। केंद्र सरकार और ईडी पर कोई असर नहीं होता है और सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिलती है तो वे इस्तीफे के बारे में सोच सकते हैं।

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