इन दिनों किसी भी चीज पर विवाद शुरू हो जाता है और किसी भी चीज को घोटाला बताया जाने लगा है बशर्ते कोई मीडिया समूह उसके बारे में सनसनी बना कर खबर छाप दे। दूसरी बात यह है कि अंग्रेजी के एक दो अखबार ऐसे हैं, जो वैसे तो 24 घंटे सरकार की भक्ति में रहते हैं और अहम मौकों पर सरकार के लिए ढाल बन जाते हैं लेकिन बीच बीच में कुछ सनसनी बनाते हैं ताकि उनकी साख बन रहे। ऐसे ही एक अंग्रेजी अखबार ने बड़े धूमधाम से कथित खोजी रिपोर्ट छापी की 2019 में सुप्रीम कोर्ट से अयोध्या में जमीन का फैसला हिंदू पक्ष में आने के बाद किन किन लोगों ने अयोध्या और आसपास के इलाकों में जमीन खरीदी है। अखबार ने ऐसा दिखाया कि जमीन खरीद कर लोगों ने कोई अपराध किया है कि जमीन की खरीद बिक्री कोई आपराधिक कार्य है। उसके बाद राज्य की मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी के नेता भी इसी लाइन पर जमीन की खरीद बिक्री को घोटाला बताने लगे।
सबको पता है कि इसमें कोई घोटाला नहीं है और बहुत जल्दी यह मामला मीडिया से गायब हो जाएग लेकिन अखबार की साख बनेगी कि उसने एक खुलासा किया। असल में यह बहुत सामान्य प्रक्रिया है कि किसी जगह पर कारोबार की संभावना बेहतर होती है तो लोग उसके आसपास जमीन खरीदते हैं। जैसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जेवर हवाईअड्डे के निर्माण की घोषणा के बाद से समूचे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जमीन खरीदने की होड़ मची और इसका नतीजा यह हुआ कि जमीन और फ्लैट्स की कीमत आसमान छूने लगी। अगर कोई अखबार खोजबीन करे तो पता चलेगा कि देश के कितने नेताओं, अधिकारियों, पत्रकारों, कारोबारियों ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा में जमीनें खरीदी हैं। लेकिन अखबार ने अयोध्या में जमीन बिक्री की खोजबीन की तो अखबार के मुताबिक जिस सबसे बड़े और महत्वपूर्ण व्यक्ति ने अयोध्या के आसपास जमीन खरीदी है वो अरुणाचल प्रदेश के उप मुख्यमंत्री के बेटे हैं! सोचें, अखबार का दावा है कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण होने की घोषणा हुई तो उसके आसपास जमीन का जो कथित भारी घोटाला हुआ वह अरुणाचल प्रदेश के उप मुख्यमंत्री के बेटों ने किया! इसके बाद कुछ अधिकारियों के बारे में खबर है कि उन्होंने जमीन खरीदी। इसमें न कोई घोटाला है और न कोई अपराध। ऐसा लग रहा है कि अखबार ने किसी खास मकसद से यह कथित खुलासा किया है।