लालू का दांव कितना काम आएगा?

लालू का दांव कितना काम आएगा?

बिहार में राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद और उनके बेटे तेजस्वी यादव ने लोकसभा चुनाव में एक प्रयोग किया था। उन्होंने अपने मुस्लिम और यादव यानी एमवाई समीकरण में नए वोट जोड़ने के लिए एक दांव चला था। राजद, कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टियों के गठबंधन ने यादव के बाद सबसे ज्यादा कुशवाहा यानी कोईरी जाति के उम्मीदवार उतारे। विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की ओर से 11 यादव उम्मीदवार थे तो सात कुशवाहा उम्मीदवार भी मैदान में थे। ध्यान रहे नीतीश कुमार की पूरी राजनीति लव कुश यानी कुर्मी और कोईरी के समीकरण से आगे बढ़ी है। जदयू और भाजपा दोनों इस राजनीति को साधने में लगे हैं। नीतीश खुद कुर्मी जाति से हैं तो भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी कोईरी हैं। फिर भी लालू प्रसाद के दांव से कोईरी वोट में टूट हुई। गठबंधन के उम्मीदवारों को कोईरी का वोट मिला, जिससे अभय कुशवाहा और राजाराम कुशवाहा चुनाव जीते।

अब लालू प्रसाद ने इसके आगे का दांव चला है। उन्होंने अपनी पार्टी के अभय कुशवाहा को लोकसभा में पार्टी का नेता बना दिया है। गौरतलब है कि लोकसभा में लालू प्रसाद की बेटी मीसा भारती भी इस बार जीत कर पहुंची हैं। वे दो बार राज्यसभा सांसद रही हैं। यानी तीसरी बार की सांसद हैं। सुरेंद्र यादव भी पहले सांसद रहे हैं और सुधाकर सिंह भी ज्यादा अनुभवी हैं। लेकिन लालू और तेजस्वी ने पहली बार के सांसद अभय कुशवाहा को नेता बनाया है। उनकी नजर अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव पर है। हालांकि विधानसभा चुनाव में कोईरी और कुर्मी दोनों को पता है कि राजद के जीतने पर मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव बनेंगे लेकिन दूसरी ओर एनडीए के जीतने पर लव कुश समाज से ही सीएम बनने की ज्यादा संभावना है। इसके बावजूद लालू प्रसाद अपने प्रयोग के तहत विधानसभा में भी ज्यादा सीट देने का दांव चलेंगे।

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