राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद बिहार में कांग्रेस और लेफ्ट के साथ तालमेल में 23 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं और इनमें से नौ सीटों पर उन्होंने यादव उम्मीदवार उतारे हैं। बिहार में यादवों की आबादी 14 फीसदी है लेकिन लालू प्रसाद ने 40 फीसदी उम्मीदवार यादव उतारे हैं।
इसके बावजूद उनको यादव मतदाताओं से ही समस्या झेलनी पड़ रही है। वैसे भी लोकसभा चुनाव में यादव मतदाता उस तरह से राजद के साथ नहीं जुड़ते हैं, जैसे विधानसभा में जुड़ते हैं। लोकसभा में उनका वोट भाजपा को भी जाता है तभी भाजपा और जदयू के सभी यादव उम्मीदवार चुनाव जीतते हैं। नीतीश कुमार दावा करते हैं कि वे एनडीए के यादव उम्मीदवार से लालू को भी हरा देते हैं।
ध्यान रहे लालू प्रसाद को पाटलीपुत्र सीट पर जदयू के रंजन यादव ने और मधेपुरा सीट पर जदयू के ही शरद यादव ने हराया था। अभी इसी सीट पर भाजपा के रामकृपाल यादव दो बार से लालू प्रसाद की बेटी मीसा भारती को हरा रहे हैं। तभी लालू प्रसाद को यादव वोट के लिए इतनी टिकटें देनी पड़ी हैं। इसके बावजूद पूर्णिया, नवादा, पाटलिपुत्र और झंझारपुर जैसी सीटों पर उनको यादवों की नाराजगी झेलनी पड़ रही है।
पूर्णिया में लालू प्रसाद और तेजस्वी ने पप्पू यादव को रोकने के लिए उनको कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने दी और जदयू से लाकर बीमा भारती को टिकट दिया, जो अति पिछड़ी जाति से आती हैं। इसके बाद से यादव पप्पू यादव के साथ हैं। ऐसे ही नवादा सीट पर राजवल्लभ यादव की टिकट काट कर लालू ने श्रवण कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया। इसके बाद राजवल्लभ यादव के भाई निर्दलीय चुनाव लड़े और इस इलाके लालू की पार्टी के तीन विधायक उनके साथ चले गए, जिनमें से दो यादव और एक दलित हैं। झंझारपुर में भी पिछली बार राजद की टिकट से लड़े गुलाब यादव निर्दलीय लड़ रहे हैं। पाटलिपुत्र से फिर मीसा भारती को टिकट मिलने से राजद नेता भाई वीरेंद्र और रीतलाल यादव दोनों नाराज हैं।