आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की तारीफ करते हुए और पूरे देश में इसके सफल होने की भविष्यवाणी करते हुए एक दिन पहले कहा था कि ‘इंडिया’ को पहली जीत चंडीगढ़ से मिलेगी। केजरीवाल के साथ साथ उनकी पार्टी के राज्यसभा सांसद और चंडीगढ़ मेयर का चुनाव संभाल रहे राघव चड्ढा ने भी दावा किया था कि एलायंस जीत रहा है। आप और कांग्रेस ने हाई कोर्ट जाकर मेयर चुनाव की तारीख बदलवाई थी अन्यथा प्रशासन ने पहले छह फरवरी की तारीख तय की थी। हाई कोर्ट ने उसे खारिज करते हुए साफ कहा कि चुनाव 30 जनवरी तक हर हाल में कराना होगा। सो, अदालत के आदेश से 30 जनवरी को चुनाव हुआ और चार वोट कम होने के बावजूद भाजपा का मेयर चुन लिया गया।
चंडीगढ़ नगर निगम में आम आदमी पार्टी के 13 और भाजपा के 14 सदस्य हैं। चंडीगढ़ का सांसद पदेन सदस्य होता है। इस तरह भाजपा के पास 15 सदस्य हो जाते हैं और अकाली दल का एक सदस्य है। इससे पहले दो बार चुनाव हुए थे तो कांग्रेस ने चुनाव में हिस्सा नहीं लिया, जिसकी वजह से भाजपा का मेयर चुन लिया जाता था। इस बार कांग्रेस और आप ने तालमेल कर लिया और मिल कर चुनाव लड़ने का फैसला किया, जिसके बाद ऐन चुनाव के दिन तारीख आगे बढ़ा दी गई थी। दोनों पार्टियों ने इसका विरोध किया और हाई कोर्ट गए, जहां से उनको राहत मिल गई और 30 जनवरी को चुनाव हुआ।
सब कुछ तय गणित के हिसाब से हुआ। मतदान में भाजपा को 16 और आम आदमी पार्टी के मेयर उम्मीदवार को 20 वोट मिले। लेकिन पीठासीन अधिकारी ने आप और कांग्रेस के आठ वोट को अवैध कर दिया और इस तरह चार वोट कम होने के बावजूद भाजपा को चार वोट से जीत दिला दी। अब कांग्रेस और आप के नेता इस बात पर हंगामा कर रहे हैं और छाती पीट रहे हैं कि लोकतंत्र खतरे में है। अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि भाजपा अगर एक शहर में मेयर का चुनाव जीतने के लिए इस तरह के काम कर सकती है तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि लोकसभा का चुनाव जीतने के लिए वह किस हद तक जाएगी। वैसे महाराष्ट्र से लेकर बिहार और झारखंड में जो हो रहा है उसे देखते हुए यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि भाजपा किस हद तक जा सकती है।
बहरहाल, भाजपा ने सिर्फ मेयर का चुनाव जीतने के लिए चंडीगढ़ में इतना बड़ा खेल नहीं कराया है। भाजपा को कांग्रेस और आप के गठबंधन को फेल करना था। केजरीवाल ने जो कहा था कि ‘इंडिया’ को पहली जीत मिलेगी उसे गलत साबित करना था। भाजपा को यह दिखाना था कि विपक्षी गठबंधन कामयाब नहीं हो सकता है। अगर दोनों पार्टियां मिल कर मेयर का चुनाव जीत जातीं और दोनों उपमेयर उनके हो जाते तो इसका मैसेज पूरे देश में बड़ा होता। छोटे से चुनाव का मैसेज देश भर में जाता और यह धारणा बनती कि अगर विपक्ष एकजुट रहा तो भाजपा को हरा सकता है। इसलिए मेयर के चुनाव को ऐसे हैंडल किया गया कि गठबंधन नहीं जीत सके।