विपक्षी नेताओं के बयानों का विवाद

विपक्षी नेताओं के बयानों का विवाद

किसी भी चुनाव की गर्मी में नेताओं की तीखी बयानबाजी बहुत आम है। पार्टियां और नेता एक दूसरे पर हमला करते हैं। कई बार विवादित बयान भी दिए जाते हैं, जिनका मकसद किसी खास चीज की ओर ध्यान खींचना होता है। लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी पार्टियों की ओर से कुछ ऐसे बयान दिए जा रहे हैं, जो रैंडम नहीं लग रहे हैं। यानी ऐसा नहीं लग रहा है कि बिना सोचे समझे चुनाव प्रचार की गर्मी में बोल दिया। Lok Sabha election 2024

ये बयान सुनियोजित लग रहे हैं और पिछले कुछ समय से कही जा रही बातों की निरंतरता उनमें दिख रही है। यह अलग बात है कि डीएमके सांसद ए राजा जो बयान दे रहे हैं, कांग्रेस उसकी आलोचना कर रही है और कांग्रेस नेता राहुल गांधी जो बयान दे रहे हैं उनकी पार्टी के ही नेता उसकी आलोचना करके पार्टी छोड़ रहे हैं। लालू प्रसाद के बयान पर अलग बहस छिड़ी हुई है। सवाल है कि विपक्षी नेता क्या इससे किसी ऐसे ध्रुवीकरण की उम्मीद कर रहे हैं, जिससे उनको फायदा होगा? Lok Sabha election 2024

डीएमके नेता ए राजा ने भारत को एक देश मानने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा है कि देश उसको कहते हैं, जिसमें एक जैसे लोग रहते हैं और एक जैसी भाषा बोलते हैं। भारत में जाति, धर्म और भाषा की विविधता के आधार पर उन्होंने भारत को एक देश की बजाए एक उप महाद्वीप कहा है। दक्षिण एशिया के देशों को भारतीय उप महाद्वीप कहा जाता है। लेकिन ए राजा ने भारत को देश नहीं मानने की बात कहते हुए अपनी और पार्टी की द्रविडियन पहचान को आगे रखा। उन्होंने जय श्रीराम का नारा लगाने का भी विरोध किया। ध्यान रहे वे पहले भी सनातन विरोध का बयान दे चुके हैं। ए राजा और उदयनिधि स्टालिन ने सनातन को बीमारी बताते हुए उसे खत्म करने का संकल्प जताया था।

इस बीच राहुल गांधी का भी एक बयान चर्चा में आया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए कहा कि उनको तो खुद प्रधानमंत्री बनना है लेकिन वे चाहते हैं कि बाकी लोगों के बच्चे जय श्रीराम बोलते हुए भूख से मर जाएं। वे सीधे भूख से मर जाने की बात भी कर सकते थे या जैसा पहले कहा था कि मोदी चाहते हैं कि देश के बच्चों को मोबाइल की लत लग जाए और वे कोई काम नहीं करें, वैसा भी कह सकते थे। लेकिन उन्होंने जय श्रीराम नारे का जिक्र किया। गौरतलब है कि गुजरात में अर्जुन मोढवाडिया और अन्य लोगों ने इसी बात को मुद्दा बनाया कि कांग्रेस भगवान राम का विरोध कर रही है। सबको पता है कि यह बहुत संवेदनशील मामला है फिर भी कैजुअल तरीके से इसे लेकर बयान दिए जा रहे हैं।

उधर लालू प्रसाद ने पटना की जन विश्वास रैली में प्रधानमंत्री मोदी के संतान नहीं होने का मुद्दा उठाया और साथ ही यह भी कहा कि वे हिंदू नहीं हैं क्योंकि उन्होंने अपनी मां के निधन पर बाल नहीं मुड़वाए। सोचें, डॉक्टर लोहिया के चेलों को इस पोंगापंथी विचार का प्रचार करना है कि हिंदू होने के लिए बाल मुड़वाना जरूरी है। लालू प्रसाद को हिंदू धर्म की विविधता और विवाह से लेकर अंतिम संस्कार तक के मामले में देश के अलग अलग हिस्सों में अपनाई जाने वाली धार्मिक पद्धतियों की जानकारी ही नहीं है। क्या विपक्षी नेता इस तरह के बयानों से भाजपा के मुकाबले कुछ खास किस्म का ध्रुवीकरण होने की उम्मीद कर रहे हैं?

यह भी पढ़ें:

तमिलनाडु में भाजपा का आधार बन रहा है

हेमंत सोरेन की मुश्किलें बढ़ रही हैं

कांग्रेस की पहली सूची कब आएगी

केंद्रीय सचिवों में क्या बड़ा बदलाव होगा?

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

और पढ़ें