अगले लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस अपने हितों से समझौता करने को तैयार है। सीट बंटवारे को लेकर चल रही बातचीत में कांग्रेस ने बहुत लचीला रुख दिखाया है। कांग्रेस ने सभी सहयोगी पार्टियों को मैसेज दिया है कि वह सीटों की संख्या पर नहीं अड़ेगी। असल में कांग्रेस के लिए चुनाव प्रबंधन और रणनीति बनाने का काम देख रहे सुनील कनुगोलू की टीम कांग्रेस के लिए सर्वेक्षण कर रही है और ऐसी सीटों की पहचान कर रही है, जहां वह ज्यादा आसानी से लड़ और जीत सकती है। ध्यान रहे कांग्रेस चार सौ से ज्यादा सीटों पर लड़ती रही है और पिछली बार भी 421 सीटों पर लड़ी थी। उससे पहले 2014 के चुनाव में तो 464 सीटों पर लड़ी थी लेकिन सिर्फ 44 सीट जीत पाई थी। दूसरे चुनाव में वह 421 सीटों पर लड़ी, जिसमें से 52 पर जीती और 209 सीटों पर दूसरे स्थान पर रही।
इस आंकड़े को ध्यान में रख कर सुनील कनुगोलू की टीम ने ऐसी सीटों पर फोकस करने की सलाह दी है, जिन पर कांग्रेस जीत सकती है। कांग्रेस के उम्मीदवार जिन सीटों पर तीसरे या चौथे स्थान पर रहे थे उनको छोड़ दिया है। तभी पिछले दिनों कांग्रेस नेताओं की बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 255 सीटों पर फोकस करने की बात कही। हालांकि इसका यह मतलब नहीं है कि कांग्रेस सिर्फ 255 सीटों पर लड़ेगी। वह इसके अलावा एक सौ और सीटों पर लड़ सकती है। लेकिन उसका जोर इन 255 सीटों पर होगा। बताया जा रहा है कि कांग्रेस ने 375 सीटों की मांग की है। इसमें से 291 सीटें तो ऐसी हैं, जो कांग्रेस और भाजपा के सीधे मुकाबले वाली हैं और 85 सीटें उन राज्यों में हैं, जहां प्रादेशिक क्षत्रप मजबूत हैं और कांग्रेस उनकी सहयोगी पार्टी है।
हालांकि कांग्रेस ने भले 375 सीटों पर लड़ने की बात कही है लेकिन खड़गे की बात से स्पष्ट है कि पार्टी 255 से 290 के बीच सीटें अपने लिए अनुकूल मान रही है और उन्हीं पर लड़ने की तैयारी कर रही है। तभी ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस का तालमेल ऐसी पार्टियों से भी हो जाएगा, जिनके साथ सीटों की एडजस्टमेंट में मुश्किल आ रही है। कांग्रेस पुरानी सहयोगी पार्टियों के साथ साथ नई सहयोगियों को जोड़ने के लिए भी अपनी कुछ सीटें छोड़ने को तैयार है।
कांग्रेस हर हाल में उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और महाराष्ट्र में तालमेल करना चाहती है। इन चारों राज्यों की प्रादेशिक पार्टियों के साथ कांग्रेस का पुराना तालमेल रहा है और कांग्रेस पहले भी उनके साथ चुनाव लड़ चुकी है। इसलिए भले कांग्रेस ज्यादा सीटों की मांग कर रही है लेकिन वह प्रादेशिक पार्टियों के हिसाब से सीटों की एडजस्टमेंट के लिए तैयार है। नई पार्टियों में शिव सेना उद्धव ठाकरे गुट है, जिसके साथ कांग्रेस को पहली बार चुनाव लड़ना है और आम आदमी पार्टी के साथ भी तालमेल होता है तो कांग्रेस पहली बार चुनाव लड़ेगी। अगले लोकसभा चुनाव को करो या मरो वाला चुनाव मान रही कांग्रेस दोनों के साथ तालमेल को तैयार है।