हरियाणा में इसी साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। उससे पहले राज्य की सबसे पुरानी प्रादेशिक पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल की मान्यता पर संकट मंडरा रहा है। गौरतलब है कि पिछले चुनाव से पहले पार्टी टूट गई थी और ओमप्रकाश चौटाला के एक बेटे व पोते ने जननायक जनता पार्टी बना ली थी। उसने विधानसभा में 10 सीटें जीतीं और भाजपा की सरकार को समर्थन दिया। दूसरी ओर इनेलो सिर्फ एक सीट जीत पाई। पिछले लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनावों में इनेलो ने क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा बनाए रखने के लिए जितने वोट हासिल करने की अनिवार्यता है उससे चूक गई थी। अगर इस बार भी चूकी तो उसका क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा और चश्मा चुनाव चिन्ह छिन जाएगी।
गौरतलब है कि चुनाव आयोग के नियम के मुताबिक प्रादेशिक पार्टी का दर्जा बनाए रखने के लिए पार्टियों को लोकसभा चुनाव में राज्य में कम से कम छह फीसदी वोट और एक सीट जीतनी होती है या विधानसभा चुनाव में छह फीसदी वोट और दो सीट जीतनी होती है। अगर लगातार दो चुनाव में कोई प्रादेशिक पार्टी इस पैमाने को पूरा नहीं करती है तो उसकी मान्यता समाप्त हो जाती है और चुनाव चिन्ह जब्त हो जाता है। उसके पास नाम तो रहता है लेकिन उसके हर उम्मीदवार को अलग अलग चुनाव चिन्ह मिलते हैं। इनेलो ने 2019 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में इस अनिवार्यता को पूरा नहीं किया था। उसे लोकसभा में 1.89 फीसदी और विधानसभा में 2.44 फीसदी वोट मिले थे। इस बार भी लोकसभा चुनाव में की सीट जीतने या छह फीसदी वोट हासिल करने की संभावना नहीं दिख रही है। इसलिए पार्टी को नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले अपनी स्थिति मजबूत करनी होगी या ऐसा गठबंधन बनाना होगा, जिसमें वह छह फीसदी और दो सीट की अनिवार्यता पूरी कर सके।