झारखंड मुक्ति मोर्चा यानी जेएमएम के नेताओं के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप बहुत पहले से लगते आ रहे हैं। लेकिन संभवतः पहली बार ऐसा हुआ कि प्रधानमंत्री स्तर के किसी नेता ने जेएमएम के नेताओं की बजाय पूरी पार्टी पर हमला किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ‘जेएमएम का मतलब होता है जम कर खाओ पार्टी’। Jharkhand politics
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि झारखंड में पहले कोयले के ढेर मिलते थे लेकिन अब नोटों के ढेर मिलते हैं। हैरानी की बात है कि नोटों के ढेर वाले नेता का नाम प्रधानमंत्री ने नहीं लिया। उनका इशारा कांग्रेस के सांसद धीरज साहू की ओर था, जिनके शराब के कारोबार को लेकर झारखंड व ओडिशा में कई जगह छापे पड़े थे और साढ़े तीन सौ करोड़ रुपए से ज्यादा की नकदी बरामद हुई थी।
प्रधानमंत्री मोदी ने दो बार इसे लेकर ट्विट किया था और कहा था कि लूट की पाई पाई वसूली जाएगी। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि इतनी बड़ी जब्ती के बावजूद किसी केंद्रीय एजेंसी ने धीरज साहू को पूछताछ के लिए नहीं बुलाया। जब्ती के दो महीने से ज्यादा हो गए हैं। उनको ईडी ने एक बार बुलाया भी तो इसलिए कि उनके कार्यालय के पते पर रजिस्टर्ड गाड़ी तब के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के दिल्ली स्थित आवास पर मिली थी।
अपनी साढ़े तीन सौ करोड़ की जब्ती के मामले में उनसे पूछताछ नहीं हुई है। बताया जा रहा है कि एजेंसियों ने मान लिया है कि वह उनके कारोबार के पैसे थे और उन्होंने भारी भरकम टैक्स भी चुका दिया है। शायद तभी प्रधानमंत्री ने उनका नाम नहीं लिया। बहरहाल, उन्होंने जेएमएम को लेकर जो कहा उसका मैसेज आदिवासी समाज में अच्छा नहीं गया होगा क्योंकि नेता चाहे जैसे रहे हों पार्टी के प्रति आदिवासी का लगाव है क्योंकि वह आंदोलन की पार्टी है और आदिवासियों के लिए राज्य बनवाने में पार्टी की ऐतिहासिक भूमिका रही है। उसी पार्टी के चम्पई सोरेन अभी मुख्यमंत्री हैं, जिनकी ईमानदारी और सादगी की मिसाल दी जाती है।