भारतीय जनता पार्टी हर जगह मुस्लिम आरक्षण की विरोधी रही है। इसके लिए पार्टी के नेता संविधान का हवाला देते हैं और बताते हैं कि उसमें धर्म के आधार पर आरक्षण की अनुमति नहीं है। तभी हैरानी की बात है कि महाराष्ट्र में, जहां भाजपा की मदद से एकनाथ शिंदे की सरकार चल रही है वहां एक उप मुख्यमंत्री अजित पवार मुस्लिम आरक्षण की बात कर रहे हैं। एनसीपी नेता और राज्य के वित्त मंत्री अजित पवार ने मुस्लिम छात्रों को दाखिले में पांच फीसदी आरक्षण देने का राग छेड़ा है। उन्होंने पिछले दिनों कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में मुस्लिम छात्रों को दाखिले में पांच फीसदी का आरक्षण मिलना चाहिए। प्रदेश भाजपा की ओर से सरकार की ओर से इसे लेकर कोई बयान नहीं आया है।
इस बीच खबर है कि वित्त मंत्री के नाते वे इस मामले को लेकर बैठकें करने लगे हैं। शिव सेना के एकनाथ शिंदे गुट की ओर से अब्दुल सत्तार राज्य सरकार में मंत्री हैं और एनसीपी के अजित पवार गुट की ओर से हसन मुश्रिफ भी मंत्री हैं। बताया जा रहा है कि अजित पवार ने इन दोनों मंत्रियों के साथ बैठक की है। हालांकि अंतिम फैसला तो दूसरे उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को करना है लेकिन इस खेल के पीछे अजित पवार का बड़ा दांव देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि वे मराठा के साथ साथ अपनी पार्टी के पारंपरिक मुस्लिम वोट को भी साधे रखना चाहते हैं। दूसरे, यह भी कहा जा रहा है कि अगर अजित पवार ने अपने चाचा के खेल को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया है। अगर मुस्लिम आरक्षण के सवाल पर भाजपा और शिव सेना आपत्ति करते हैं तो यह अजित पवार को गठबंधन से अलग होने का कारण बन सकता है।