बिहार में पिछले दिनों निवेशकों का एक सम्मेलन हुआ, जिसमें 50 हजार करोड़ रुपए के समझौता ज्ञापनों पर दस्तखत हुआ। बिहार सरकार ने इस आयोजन पर बड़ा फोकस किया था। बिहार सरकार के अधिकारी और नेता 50 हजार करोड़ रुपए के एमओयू से बहुत खुश हैं। हालांकि यह कोई बड़ी खुशी की बात नहीं है क्योंकि आमतौर पर एमओयू का 10 फीसदी से ज्यादा निवेश नहीं आता है। पड़ोसी राज्य झारखंड में 2017 में मोमेंटम झारखंड का आयोजन किया गया था, तब राज्य में भाजपा की सरकार थी और करीब साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए का एमओयू हुआ था। सोचें, कहां बिहार का 50 हजार करोड़ और कहां झारखंड का साढ़े तीन लाख करोड़ का एमओयू! लेकिन असल में 35 हजार करोड़ का निवेश भी झारखंड में नहीं हुआ।
बहरहाल, वह एक अलग मसला है लेकिन बिहार में जो 50 हजार करोड़ रुपए के निवेश का एमओयू हुआ उसमें करीब नौ हजार करोड़ रुपए का निवेश करने का वादा अडानी समूह ने किया। अडानी समूह के एक निदेशक प्रणब अडानी बिहार में हुए निवेशक सम्मेलन में शामिल हुए और उन्हों 87 सौ करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव की घोषणा की। अडानी समूह एकमात्र बड़ा कारोबारी समूह था, जिसने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इससे बिहार सरकार के अधिकारी और नेता खासे उत्साहित हैं। अब सवाल है कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के नेताओं खास कर राहुल गांधी की तरह किसी तरह लालू प्रसाद और नीतीश कुमार अडानी समूह पर हमला करेंगे? नौ हजार करोड़ रुपए से भी कम से निवेश प्रस्ताव के जरिए अडानी समूह ने विपक्ष के दो बड़े नेताओं की जुबान बंद करा दी है। निवेश को पता नहीं कब होगा।