उम्मीद की जा रही थी कि इस बार संसद सत्र में आरक्षण का मुद्दा जोर शोर से उठेगा। आखिर कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियों ने आरक्षण को मुद्दा बना कर चुनाव लड़ा था। राहुल गांधी ने आरक्षण की सीमा बढ़ाने का वादा किया था। ऊपर से संसद का सत्र शुरू होने से ठीक पहले बिहार में पटना हाई कोर्ट ने आरक्षण बढ़ाने के राज्य सरकार के कानून को रद्द कर दिया था। बिहार सरकार ने जब कानून बनाया था तब कांग्रेस भी सरकार का हिस्सा थी। तभी कहा जा रहा था कि संसद में इसका मुद्दा उठेगा और बिहार में बढ़े हुए आरक्षण को बहाल करने की बात भी होगी।
लेकिन किसी ने आरक्षण का मुद्दा नहीं बनाया और उससे भी हैरानी की बात है कि किसी ने जनगणना की भी बात नहीं की। अगर जनगणना की बात होती तो उसमें जाति गणना की बात आती। कांग्रेस की तरह से औपचारिकता के लिए यह मांग की गई है कि सरकार आरक्षण की 50 फीसदी की अधिकतम सीमा को समाप्त करने का कानून लाए। लेकिन इस पर भी किसी ने न तो चर्चा की मांग की और न अपने भाषण में यह मुद्दा उठाया। राहुल गांधी भी करीब दो घंटे बोले लेकिन यह मुद्दा उनकी प्राथमिकता में नहीं आया। इस बीच आरक्षण की सीमा बढ़ाने के लिए बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट गई है।