कांग्रेस पार्टी के जिन तीन शीर्ष नेताओं को अयोध्या में 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने का न्योता मिला था उन्होंने उसे स्वीकार नहीं किया। सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और अधीर रंजन चौधरी को न्योता दिया गया था और तीनों ने इसे अस्वीकार कर दिया। लेकिन उसके बाद से इस पर जो विवाद हुआ है उसे देखते हुए कांग्रेस ने अपनी राय बदल दी है। खुद राहुल गांधी ने नगालैंड की राजधानी कोहिमा में प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि धर्म बिल्कुल निजी मामला है और अगर कांग्रेस कोई नेता अयोध्या जाना चाहता है तो उस पर कोई रोक नहीं होगी। इस तरह राहुल गांधी ने कांग्रेस नेताओं के 22 जनवरी को अयोध्या जाने पर लगी अघोषित रोक हटा दी।
तभी कहा जा रहा है कि कांग्रेस के कई नेता 22 जनवरी के कार्यक्रम में शामिल होंगे। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कुछ नेता इस कार्यक्रम में जा सकते हैं। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और लखीमपुर खीरी के सांसद रहे निर्मल खत्री ने निमंत्रण स्वीकार कर लिया है और वे अयोध्या जाएंगे। हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार के मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि अयोध्या जाएंगे क्योंकि उनके पिता दिवंगत वीरभद्र सिंह की ऐसी ही इच्छा थी। कांग्रेस के नेता मान रहे हैं कि पार्टी को आधिकारिक रूप से कुछ नेताओं को अयोध्या जाने के लिए प्रेरित करना चाहिए ताकि बाद में जब भाजपा की ओर से कांग्रेस पर हमला हो तो उन नेताओं को आगे किया जा सके।