केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार प्रतीकात्मक रूप से ही सही लेकिन कुछ ऐसे काम कर रही है, जो पहले नहीं हुए। जैसे रेलवे बोर्ड में जया सिन्हा के रूप में पहली महिला अध्यक्ष बनाने के बाद अब सरकार ने पहला दलित अध्यक्ष बनाया है। रेलवे सेवा के 1986 बैच के अधिकारी सतीश कुमार को रेलवे बोर्ड का चेयरमैन और सीईओ बनाया गया है। वे मैकेनिकल इंजीनियर हैं और उनका करियर शानदार रहा है। रेलवे सुरक्षा को लेकर उन्होंने जो काम किए हैं उनकी सराहना सभी करते हैं। इस समय जब रेलवे की सुरक्षा को लेकर सबसे ज्यादा सवाल उठ रहे हैं तब उनको अध्यक्ष बना कर केंद्र सरकार ने एक मैसेज दिया है। लेकिन उससे बड़े मैसेज राजनीतिक रूप से दिया गया है।
इस समय दलित विमर्श भारतीय राजनीति का केंद्रीय विमर्श बना है। एससी, एसटी के आरक्षण के वर्गीकरण से लेकर लैटरल एंट्री तक के मामले में आरक्षण का मुद्दा चर्चा में है। तभी रेलवे बोर्ड के दलित चेयरमैन के जरिए बड़ा संदेश दिया गया है। यह भी संयोग है कि सतीश कुमार की नियुक्ति हरियाणा विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हुई है। हरियाणा में दलित वोट को लेकर खूब चर्चा छिड़ी है। भाजपा भी इसमें एक पार्टी है, जिसने कांग्रेस के आंतरिक मामले में दखल देते हुए कहा है कि कांग्रेस कुमारी शैलजा को मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित करके बताए कि वह दलितों की हितैषी है। शैलजा खुद भी इसके लिए पूरा जोर लगा रही हैं। लेकिन कांग्रेस अभी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के ऊपर सबसे ज्यादा भरोसा किए हुए है। चुनाव नतीजों के बाद क्या होगा, कोई नहीं कह सकता है। लेकिन अभी शैलजा को शांत करा दिया गया है।