लोकसभा चुनाव जीत कर राहुल गांधी पहली बार अपने चुनाव क्षेत्र रायबरेली पहुंचे तो प्रियंका गांधी वाड्रा उनके साथ थीं। वहां राहुल ने कहा कि अगर उनकी बहन वाराणसी से चुनाव लड़तीं तो वे नरेंद्र मोदी को दो-तीन लाख वोट से हरा देतीं। तो सवाल है कि फिर लड़ीं क्यों नहीं? क्या सोच कर कांग्रेस ने उनको वाराणसी से कहीं से भी चुनाव नहीं लड़ाया? कांग्रेस के छुटभैये नेताओं या सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर्स की ओर से दी जा रही इस दलील का कोई मतलब नहीं है कि प्रियंका पूरे देश में प्रचार कर रही थीं। पूरे देश में तो राहुल गांधी भी प्रचार कर रहे थे फिर भी दो सीटों से लोकसभा का चुनाव लड़े।
गौरतलब है कि इस साल मार्च, अप्रैल में हुए राज्यसभा के दोवार्षिक चुनावों में प्रियंका गांधी वाड्रा के राज्यसभा में जाने की बड़ी चर्चा थी। कहा जा रहा था कि वे तेलंगाना या हिमाचल प्रदेश से राज्यसभा में जाएंगी। लेकिन उन्हें मौका नहीं मिला। फिर कहा गया कि अपनी मां सोनिया गांधी की खाली की हुई रायबरेली सीट से वे चुनाव लड़ेंगी लेकिन वह भी नहीं हुआ। उसके बाद कहा गया कि राहुल गांधी दो सीटों से जीतने के बाद रायबरेली सीट खाली कर देंगे और वहां से प्रियंका लड़ेंगी लेकिन अब कहा जा रहा है कि राहुल रायबरेली सीट रखने के लिए तैयार हो गए हैं और वे केरल की वायनाड सीट खाली करेंगे। जाहिर है कि प्रियंका वहां से चुनाव लड़ने नहीं जाएंगी। तभी सवाल है कि वे क्या करेंगी? क्या वे बिना सांसद हुए ही राजनीति करेंगी? ध्यान रहे उनकी उम्र 52 साल से हो गई है। और इतिहास गवाह है कि नेहरू गांधी परिवार का शायद कोई सदस्य नहीं होगा, जो 52 साल की उम्र तक सांसद न बना हो। वे बिना किसी प्रभार के महासचिव हैं। देखते हैं यह स्थिति कब तक रहती है।