इस तरह की हिप्पोक्रेसी सिर्फ भाजपा ही दिखा सकती है। अगर कोई दूसरी पार्टी ऐसा करे तो भाजपा और देश का प्रतिबद्ध मीडिया उसकी खाल उतार दे। लेकिन भाजपा पूरी शान से मेघालय में गौमांस खाने के नाम पर वोट मांग रही है और देश के बाकी हिस्सों में गौरक्षा के नाम पर आंदोलन कर रही है। यहां तक कि गौरक्षा के नाम पर इंसानों की हत्या हो रही है और भाजपा की राज्य सरकारें चुप हैं या उनका बचाव कर रही हैं। अगर भाजपा सचमुच दिल से गाय से प्रेम करने वाली पार्टी है या गौरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है तो क्या वह मेघालय जैसा छोटा राज्य दांव पर नहीं लगा सकती है? क्या वह नहीं कह सकती है कि मेघालय में भले दो चार सीटें नहीं मिलें लेकिन गौमांस खाने का समर्थन नहीं करेगी?
भाजपा ऐसा नहीं कर रही है। उलटे वह गौमांस खाने के नाम पर वोट मांग रही है। उसके प्रदेश अध्यक्ष अर्नेस्ट मावरी ने दो बार बयान दिया है कि वे गौमांस खाते हैं और भाजपा में किसी ने उनको इसके लिए रोका नहीं है। उन्होंने बयान के अलावा अंग्रेजी के एक अखबार को इंटरव्यू देकर यह बात दोहराई और कहा कि यह मेघालय की संस्कृति का हिस्सा है। सोचें, ऐसा कहने की क्या जरूरत है? वे चुप भी रह सकते थे। लेकिन उन्होंने बार बार यह बात दोहराई है इसका मतलब है कि वे और उनकी पार्टी इस मसले पर राज्य के लोगों को भरोसा दिला रहे हैं और इसे चुनाव का मुद्दा बना रहे हैं। सवाल है कि क्या भाजपा के लिए राजस्थान और हरियाणा की गाय पवित्र है और मेघालय, गोवा, केरल आदि राज्यों की गाय पवित्र नहीं है?