डीएमके और अन्ना डीएमके एक साथ

तमिलनाडु में कमाल की राजनीति देखन को मिल रही है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई ने सत्तारूढ़ डीएमके के नेताओं और राज्य के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के ऊपर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया तो डीएमके के साथ साथ मुख्य विपक्षी अन्ना डीएमके भी स्टालिन के समर्थन में उतरी है। अन्ना डीएमके के महासचिव और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ई पलानीस्वामी ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पर हमला करते हुए कहा है कि वे बहुत अपरिपक्व हैं और उनको कुछ भी अंदाजा नहीं है। पलानीस्वामी ने कहा है कि अन्नामलाई ने डीएमके नेताओं के भ्रष्टाचार के जो आंकड़े दिए हैं वे कुछ नहीं हैं, बल्कि सभी डीएमके नेताओं की संपत्ति का ब्योरा है। इसमें भ्रष्टाचार का कोई मामला नहीं है।

सोचें, अपनी चिर प्रतिद्वंद्वी पार्टी के नेता के प्रति पलानीस्वामी के इस तरह से सद्भाव दिखाने का क्या मतलब है? इसका मतलब यह है कि दोनों प्रादेशिक पार्टियां नहीं चाहती हैं कि भाजपा को राज्य की राजनीति में जगह मिले। डीएमके और अन्ना डीएमके को यह राजनीति सूट करती है कि दोनों बारी बारी से सत्ता में आएं और राज करें। भाजपा या कांग्रेस के मजबूत होने से दोनों का स्पेस कम होगा। यह राजनीति दूसरे राज्यों में देखने को मिलती है। लेकिन तमिलनाडु में पहली बार ऐसा हुआ है कि अन्ना डीएमके के सर्वोच्च नेता ने डीएमके का समर्थन किया है और अपनी सहयोगी भाजपा के ऊपर हमला किया है। यह इस बात का भी संकेत है कि भाजपा और अन्ना डीएमके में तालमेल आसान नहीं होगा। दूसरी ओर डीएमके ने भाजपा अध्यक्ष अन्नामलाई को पांच सौ करोड़ रुपए की मानहानि का कानूनी नोटिस भेजा है।

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