त्रिपुरा में जितेंद्र चौधरी सीपीएम की ओर से मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं। हालांकि पार्टी ने उनको आधिकारिक रूप से दावेदार नहीं बनाया है लेकिन 25 साल तक मुख्यमंत्री रहे मानिक सरकार और उनके साथ मंत्री रहे अन्य विधायकों की टिकट काट दिया है। पिछली बार जीते सीपीएम के विधायकों में से जितेंद्र चौधरी इकलौते विधायक हैं, जिनको इस बार भी टिकट मिली है। उससे भी सीपीएम ने यह मैसेज दिया कि वे मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं। बाद में रही सही कसर कांग्रेस पार्टी ने पूरी कर दी। राज्य में कांग्रेस के प्रभारी डॉक्टर अजय कुमार ने ऐलान कर दिया कि लेफ्ट और कांग्रेस की साझा सरकार बनी तो जितेंद्र चौधरी सीएम बनेंगे।
वैसे भी प्रदेश में कांग्रेस के पास कोई पूंजी नहीं है। उसका पूरा वोट बैंक भाजपा के साथ चला गया। सीपीएम को हारने के बावजूद 42 फीसदी से ज्यादा वोट मिले। इसका मतलब है कि उसने मोटे तौर पर अपना वोट बचाए रखा। दूसरी ओर कांग्रेस दो फीसदी वोट पर आ गई। उसका पूरा वोट भाजपा के साथ चला गया। इसके बावजूद सीपीएम ने कांग्रेस को 13 सीटें दी हैं। सो, कांग्रेस की कोई खास उम्मीद नहीं है। लेकिन अजय कुमार ने जितेंद्र चौधरी की आदिवासी पहचान का जिक्र करते हुए उनको सीएम का दावेदार घोषित किया। इसका फायदा दोनों पार्टियों को मिल सकता है। राज्य में 20 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं और वहां भाजपा की सहयोगी आईपीएफटी और दूसरी आदिवासी पार्टी तिपरा मोथा का दबदबा है। आदिवासी सीएम के नाम पर सीपीएम और कांग्रेस दोनों एसटी वोट में सेंध लगाने की उम्मीद कर रहे हैं।