भोजन और आवास के लिए रोजमर्रा का संघर्ष करने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है, लेकिन सरकार और संस्थाओं में लोगों का यकीन मजबूत होता गया है। गैलप वर्ल्ड की ताजा रिपोर्ट से भारत के इस अंतर्विरोध पर रोशनी पड़ी है।
भारतीय समाज की इस समय दो हकीकतें हैं। बहुसंख्यक आबादी की जिंदगी अधिक संघर्षपूर्ण होती गई है, मगर उसी समय लोगों में भविष्य बेहतर होने का भरोसा मजबूत होता गया है। भोजन और आवास के लिए रोजमर्रा का संघर्ष करने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है, लेकिन सरकार और संस्थाओं में लोगों का यकीन मजबूत होता गया है। गैलप वर्ल्ड दुनिया की भरोसेमंद सर्वे एजेंसी है। वह हर साल अलग-अलग देशों के बारे में अपनी रिपोर्ट जारी करती है। भारत में 2022 में किए गए सर्वे की रिपोर्ट कुछ समय पहले जारी हुई है। इसके जो निष्कर्ष हैं, उन्हें दो श्रेणियों में रखा जा सकता है। पहली श्रेणी के निष्कर्ष हैः युवाओं का अपने बेहतर भविष्य में भरोसा मजबूत हुआ है, ऐसे लोगों की संख्या बढ़ी है जो मानते हैं कि उनके बच्चों के अवसर बेहतर हुए हैं, शिक्षा को लेकर संतोष में वृद्धि हुई है, बहुसंख्या यह मानती है कि नौकरी पाने के लिहाज से यह अच्छा समय है, उपलब्ध वायु और जल की गुणवत्ता से संतुष्ट लोगों की संख्या बढ़ी है, और साल भर पहले की तुलना में वित्तीय संस्थानों में भरोसा रखने वाले लोगों की संख्या बढ़ गई है। अब दूसरे निष्कर्षों पर गौर करेः हर दस में चार व्यक्ति ने कहा कि (2022 में) उसे रोजमर्रा के भोजन के लिए ज्यादा जद्दोजहद करनी पड़ी, और ऐसे लोगों की संख्या बढ़ी जिन्हें लगता है कि आवास उनकी पहुंच से और दूर हो गया है। गैलप सर्वे के इस अंतर्विरोध का विश्लेषण करते हुए तीन अर्थशास्त्रियों ने एक अखबार में लिखा- ‘सत्ताधारी एनडीए में लोगों का ऊंचा भरोसा बना हुआ है। हिंदुत्व, अति केंद्रीकरण, और व्यक्ति पूजा की बढ़ी संस्कृति इसके पीछे प्रेरक तत्व हैं। लेकिन हम अपने विश्लेषण से इस निष्कर्ष पर हैं कि दरअसल, एनडीए में ऊंचा भरोसा भोजन और आवास की स्थिति बिगड़ने का एक कारण है।’ दरअसल, जिस समय चुनाव आयोग से लेकर न्यायपालिका तक और आम जांच एजेंसियों से लेकर सेबी तक की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठे हों, संस्थाओं में भरोसा बढ़ना एक विडंबना ही है। मगर भारत इस समय ऐसे ही अंतर्विरोध में जी रहा है।