ताजा तीन इंडेक्स का भारत सत्य

हाल में दुनिया की तीन संस्थाओं- फ्रीडम इन द वर्ल्ड इंडेक्स, इकोनॉमिस्ट इंटेलीजेंस यूनिट और वेराइटी ऑफ डेमोक्रेसी ने लोकतंत्र को लेकर अपना वैश्विक सूचकांक जारी किया। और तथ्य जो भारत तीनों में बहुत नीचे है। फ्रीडम इन द वर्ल्ड इंडेक्स में भारत की स्थिति इतनी खराब बताई गई है कि भारत अब आंशिक रूप से स्वतंत्र और लोकतांत्रिक देश की श्रेणी में है। पिछले साल भारत का स्कोर 77 था वह घट कर 66 हो गया। भारत को अभी जिस श्रेणी में रखा गया है, इससे पहले भारत 1975-76 में और 1991-96 में इस श्रेणी में रहा था। ध्यान रहे 1975 इमरजेंसी का साल था और 1991 घनघोर राजनीतिक अस्थिरता का साल था।

दूसरी संस्था इकोनॉमिस्ट पत्रिका की इंटेलीजेंस यूनिट है। इसने भारत को फ्लॉड डेमोक्रेसी यानी त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र की श्रेणी में डाला है। इसके इंडेक्स में भारत 2014 में 27वें स्थान पर था। अब 2022 में वह 46वें स्थान पर है। उससे पहले 2020 में तो भारत 53वें स्थान पर था। इसके बाद तीसरी संस्था- वी डेम यानी वेरायटी ऑफ डेमोक्रेसी है, जो स्वीडन की यूनिवर्सिटी ऑफ गोथेनबर्ग की संस्था है। इसने भारत को इलेक्टोरल ऑटोक्रेसी यानी निर्वाचित तानाशाही की श्रेणी में रखा है। भारत इसमें 93वें स्थान पर है और अनेक अफ्रीकी व लैटिन अमेरिकी देश इससे ऊपर हैं। कोसोवो, नेपाल, भूटान आदि भी ऊपर हैं। सोचें, आंशिक लोकतंत्र, त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र और निर्वाचित तानाशाही का टैग मदर ऑफ डेमोक्रेसी के लिए है। हैरानी नहीं है कि प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति ने इन तीनों रिपोर्ट को खारिज किया।पर वैश्विक इतिहास में इनके हवाले मोदी का इतिहास लिखा जाना है या भारतीय प्रवक्ता के खंडन से।

लोकतंत्र से ही जुड़ा मसला प्रेस की आजादी का है। कहने की जरूरत नहीं है कि भारत में प्रेस की आजादी कैसी है। एक के बाद एक मीडिया संस्थाओं पर आयकर आदि केंद्रीय एजेंसियों के छापे पड़े हैं। हालांकि उसके बाद क्या कार्रवाई हुई यह किसी को पता नहीं है। हाल में बीबीसी ने गुजरात दंगों पर डॉक्यूमेंट्री बनाई तो पहले उसे इंटरनेट पर बैन किया गया। उसके बाद भारत के दफ्तरों में बीबीसी में सर्वे करने आयकर की टीम पहुंच गई। दुनिया भारत को बता रही है कि प्रेस फ्रीडम की स्थिति बहुत खराब है लेकिन भारत सरकार इसे स्वीकार नहीं कर रही है। हकीकत यह है कि 2022 में प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत 180 देशों की सूची में 150वें स्थान पर पहुचा हुआ है। रिपोर्टर्स सैन्स फ्रंटियर्स और रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने यह सूचकांक बनाता है। 2016 में भारत इस सूचकांक में 133वें स्थान पर था। 2022 में इस सूची में भारत अफगानिस्तान से सात और पाकिस्तान से सिर्फ छह स्थान ऊपर है। लेकिन भारत सरकार के सूचना व प्रसारण मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को खारिज कर भारत में मीडिया की स्वतंत्रता का ढंका पीटा।

Published by हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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